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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2694
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - द्वितीय प्रश्नपत्र - फैशन डिजाइन एवं परम्परागत वस्त्र

प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।

अथवा
टाई एण्ड डाई का महत्व तथा इसके मुख्य केन्द्र बताइए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
बाँधनी के मुख्य केन्द्र

उत्तर -

वस्त्रों को रंगकर उन्हें चित्रित कर सुन्दर बनाने की परम्परा सभ्यता के आरम्भिक काल से ही चली आ रही है। बाँधनी शब्द संस्कृत शब्द बंध से बना है जिसका अर्थ है- बाँधना। टाई एवं डाई से तात्पर्य गाँठें बाँधने से है अर्थात् ठप्पा या किसी अन्य सामान के बिना ही कपड़े में गाँठें बाँधकर आकर्षक डिजाइन तैयार कर सकते हैं। इसके लिए किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। इसमें कपड़े पर डिजाइन की बुँदकियों को धागे. से कसकर बाँधकर उसे रंगा जाता है जिससे धागे बंधे पान पर नहीं चढ़ता तथा पूरा वस्त्र रंग जाता है। इस प्रकार यह अवरोधक छपाई का एक प्रकार है।

बाँधनी का इतिहास (History of Bandhani) – बाँधनी भारतीय रँगाई की सर्वोत्तम कृति है जिसकी शुरुआत भारत में ही हुई। भारत में राजस्थान व गुजरात में इस कला का जन्म स्थान माना जाता है। राजस्थान में टाइ एण्ड डाई को बाँधनी कहा जाता है। रामायण, महाभारत व हर्षचरित में भी बाँधनी का उल्लेख है। 1373 ई० के कालीन साहित्य में भी सतरंगी चुनरी का उल्लेख मिलता है। 16वीं शताब्दी के आसपास लिखी "वर्णका" नामक पुस्तक में भी, गुजरात की बाँधनी के प्रचलन के प्रमाण मिलते हैं। इस समय इसे बंधालय कहा जाता था।

यह माना जाता है कि राजस्थान बाँधनी का घर है, यहीं पर यह कला फली फूली एवं विकसित हुई। कहा जाता है कि बाँधनी, प्रेम, खुशी व लोकगीतों का चिह्न है। यह दुल्हन कें परिधान का मुख्य अंग है। बाँधनी की कला गुजरात, काठियावाड़, राजस्थान और सिन्ध में काफी प्रचलित है। बाँधनी में घट चोला व चुनरी, यह दो पारम्परिक प्रकार हैं। 15वीं शताब्दी में जोधाबाई जी के शासन में मुलतान नगर का एक कारीगर मोहम्मद बिन आसिम अपने रंगाई के नमूने लेकर जोधा जी के पास पहुँचा तब जोधा जी को यह कला इतेनी मनमोहक लगी कि उन्होंने कारीगर का खास सामान खरीद लिया तथा उन्हें सम्मानित भी किया। तभी से यह कला विकसित हुई।

बंधेज की ओढ़नियों की अपने आप में एक अलग ही विशेषता है। इनके डिजाइनों में भी पक्षी, जानवर, फूल, पत्तियों का सुन्दर संयोजन होता है। जयपुर का पँचरंगी साफा, मोण्डा और जो जोधपुर का कगणियाँ विशेष ख्याति प्राप्त है। शेखावटी की बंधेज चिनोन पर होती है जबकि जयपुर में शिफोन मलमल आदि पर। दक्षिण एवं पश्चिम राजस्थान में बंधेज का काम लट्ठे पर होता है। भारत की रंगाई पुराने रोम में भी काफी प्रसिद्ध है। राजस्थान और गुजरात की स्त्रियाँ बाँधनी की चुनरी कसीदा किए हुए घाघरे के ऊपर ओढ़ती हैं।

बाँधनी का महत्व - बाँधनी प्रेम विवाह, वैवाहिक सुख व सुहाग का प्रतीक माना गया है। यह खुशियों के प्रतीक का वस्त्र है। हिन्दू संस्कारों में विवाह के समय दुल्हन के वस्त्रों में चुनरी को शुभ माना जाता है। लाल चुनरी सौभाग्य का प्रतीक होती है। हर राजस्थानी स्त्री यह मनोकामना करती है कि वह सावन में सहरिया या मोण्डा पहने। राजस्थान में यह दुल्हन के परिधान का प्रमुख अंग है। गुजरात में इसी तरह घरचोला एक परम्परागत वस्त्र है। यह घरचोला दुल्हन को विवाह के समय पहनाया जाता है। इसका उपयोग दुल्हन की ओढ़नी के रूप में करते हैं। आजकल घरचोला का उपयोग अधिकांश स्त्रियाँ उत्सवों व शादियों में करती हैं। इस प्रकार बाँधनी के वस्त्र उल्लास व खुशी के प्रतीक हैं। राजस्थानी पुरुषों की पगड़ी भी बाँधनी से बनाई जाती है। इस प्रकार बाँधनी का अलग-अलग जगह अलग-अलग महत्व होता है।

बाँधनी के मुख्य केन्द्र

गुजरात-— गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और बड़े कार्यक्षेत्र हैं। जहाँ पर बाँधनी का कार्य किया जाता है। इनमें मुख्य जामनगर है। ऐसा माना जाता है कि जामनगर का पानी सबसे चमकीला लाल रंग लाता है। इसलिए रंगाई वहाँ की जाती है। जबकि गणने बाँधने का कार्य अन्य स्थानों पर किया जाता है। बाँधनी के पारम्परिक केन्द्र कच्छ में भी है। विशेषकर भुज अंजार, नांडवी में प्रमुख रूप से यह कार्य होता है।

राजस्थान - राजस्थान के बीकानेर व सिकर में बाँधनी का बारीक कार्य किया जाता है। जयपुर, जोधपुर, बारमर, पाली, उदयपुर, नायड़वारा बाँधनी के केन्द्र हैं। रंगों की दृष्टि से राजस्थान के रेगिस्तान के शहरों में अच्छे परिणाम मिलते हैं। राजस्थान में जोधपुर का खाँडा फतसा मोहल्ला बाँधनी का प्रमुख केन्द्र है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- डिजाइन के तत्वों से आप क्या समझते हैं? ड्रेस डिजाइनिंग में इसका महत्व बताएँ।
  2. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्तों से क्या तात्पर्य है? गारमेण्ट निर्माण में ये कैसे सहायक हैं? चित्रों सहित समझाइए।
  3. प्रश्न- परिधान को डिजाइन करते समय डिजाइन के सिद्धान्तों को किस प्रकार प्रयोग में लाना चाहिए? उदाहरण देकर समझाइए।
  4. प्रश्न- "वस्त्र तथा वस्त्र-विज्ञान के अध्ययन का दैनिक जीवन में महत्व" इस विषय पर एक लघु निबन्ध लिखिए।
  5. प्रश्न- वस्त्रों का मानव जीवन में क्या महत्व है? इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- गृहोपयोगी वस्त्र कौन-कौन से हैं? सभी का विवरण दीजिए।
  7. प्रश्न- अच्छे डिजायन की विशेषताएँ क्या हैं ?
  8. प्रश्न- डिजाइन का अर्थ बताते हुए संरचनात्मक, सजावटी और सार डिजाइन का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- डिजाइन के तत्व बताइए।
  10. प्रश्न- डिजाइन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- अनुपात से आप क्या समझते हैं?
  12. प्रश्न- आकर्षण का केन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अनुरूपता से आप क्या समझते हैं?
  14. प्रश्न- परिधान कला में संतुलन क्या हैं?
  15. प्रश्न- संरचनात्मक और सजावटी डिजाइन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- फैशन क्या है? इसकी प्रकृति या विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- फैशन के प्रेरक एवं बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिये।
  18. प्रश्न- फैशन चक्र से आप क्या समझते हैं? फैशन के सिद्धान्त समझाइये।
  19. प्रश्न- परिधान सम्बन्धी निर्णयों को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
  20. प्रश्न- फैशन के परिप्रेक्ष्य में कला के सिद्धान्तों की चर्चा कीजिए।
  21. प्रश्न- ट्रेंड और स्टाइल को परिभाषित कीजिए।
  22. प्रश्न- फैशन शब्दावली को विस्तृत रूप में वर्णित कीजिए।
  23. प्रश्न- फैशन का अर्थ, विशेषताएँ तथा रीति-रिवाजों के विपरीत आधुनिक समाज में भूमिका बताइए।
  24. प्रश्न- फैशन अपनाने के सिद्धान्त बताइए।
  25. प्रश्न- फैशन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
  26. प्रश्न- वस्त्रों के चयन को प्रभावित करने वाला कारक फैशन भी है। स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- प्रोत / सतही प्रभाव का फैशन डिजाइनिंग में क्या महत्व है ?
  28. प्रश्न- फैशन साइकिल क्या है ?
  29. प्रश्न- फैड और क्लासिक को परिभाषित कीजिए।
  30. प्रश्न- "भारत में सुन्दर वस्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से होता रहा है। " विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- मलमल किस प्रकार का वस्त्र है? इसके इतिहास तथा बुनाई प्रक्रिया को समझाइए।
  33. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  34. प्रश्न- कश्मीरी शॉल की क्या विशेषताएँ हैं? इसको बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।.
  35. प्रश्न- कश्मीरी शॉल के विभिन्न प्रकार बताइए। इनका क्या उपयोग है?
  36. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- ब्रोकेड के अन्तर्गत 'बनारसी साड़ी' पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- बाँधनी के प्रमुख प्रकारों को बताइए।
  40. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए।
  41. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- राजस्थान के परम्परागत वस्त्रों और कढ़ाइयों को विस्तार से समझाइये।
  43. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- पटोला वस्त्र से आप क्या समझते हैं ?
  45. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- बांधनी से आप क्या समझते हैं ?
  47. प्रश्न- ढाका की साड़ियों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  48. प्रश्न- चंदेरी की साड़ियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
  49. प्रश्न- उड़ीसा के बंधास वस्त्र के बारे में लिखिए।
  50. प्रश्न- ढाका की मलमल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- उड़ीसा के इकत वस्त्र पर टिप्पणी लिखें।
  52. प्रश्न- भारत में वस्त्रों की भारतीय पारंपरिक या मुद्रित वस्त्र छपाई का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत के पारम्परिक चित्रित वस्त्रों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- गर्म एवं ठण्डे रंग समझाइए।
  55. प्रश्न- प्रांग रंग चक्र को समझाइए।
  56. प्रश्न- परिधानों में बल उत्पन्न करने की विधियाँ लिखिए।
  57. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  62. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए: (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  63. प्रश्न- कश्मीर की कशीदाकारी के अन्तर्गत शॉल, ढाका की मलमल व साड़ी और चंदेरी की साड़ी पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  65. प्रश्न- "मणिपुर का कशीदा" पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  66. प्रश्न- हिमाचल प्रदेश की चम्बा कढ़ाई का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- भारतवर्ष की प्रसिद्ध परम्परागत कढ़ाइयाँ कौन-सी हैं?
  68. प्रश्न- सुजानी कढ़ाई के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  69. प्रश्न- बिहार की खटवा कढ़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- फुलकारी किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- शीशेदार फुलकारी क्या हैं?
  72. प्रश्न- कांथा कढ़ाई के विषय में आप क्या जानते हैं?
  73. प्रश्न- कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले टाँकों का महत्व लिखिए।
  74. प्रश्न- कढ़ाई हेतु ध्यान रखने योग्य पाँच तथ्य लिखिए।
  75. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- जरदोजी पर टिप्पणी लिखिये।
  77. प्रश्न- बिहार की सुजानी कढ़ाई पर प्रकाश डालिये।
  78. प्रश्न- सुजानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  79. प्रश्न- खटवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

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